न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए की मांग को लेकर डीसी ऑफिस में गरजी आशा वर्कर

आशा वर्कर्स ने डी.सी. कार्यालय पर प्रदर्शन कर स्वास्थ्य मंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
अंबाला शहर 14 मार्च : अपनी मांगों को लेकर जिलाभर की आशा वर्कर्स ने डी.सी. कार्यालय पर प्रदर्शन कर स्वास्थ्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए की मांग को लेकर आशा वर्कर्स ने 5 अप्रैल को दिल्ली में किसान-मजदूर संघर्ष रैली में भाग लेने का भी ऐलान किया है। दोपहर को पॉलीटेक्निक चौंक से रोष मार्च निकालते हुए आशा वर्कर्स डी.सी. कार्यालय पर पहुंची। मजदूर संगठन सी. आई. टी. यू. से संबंधित आशा वर्कर्स एवं हैल्पर्स यूनियन के आह्वान पर किए गए प्रदर्शन के दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
यूनियन की जिला प्रधान कविता व सचिव सर्वजीत सिंह ने कहा कि आशा वर्कर का मुख्य काम जच्चा- बच्चा की देखभाल करने का है। इसके इलावा भी अन्य कई स्वास्थ्य सुविधाएं एव सरकार की योजनाएं महिलाओं एवं युवतियों को आशा वर्कर प्रदान करती है।
अन्य कई प्रकार के काम को भी वर्कर से लिया जाता है। परंतु उसके बदले में मिलने वाले मामूली से इंसेंटिव का भुगतान भी सरकार नहीं करती। प्रशासन द्वारा सभी प्रकार के कामों को ऑनलाइन करने का दवाब बनाने से वर्कर परेशान हैं। अपने मुख्य कार्य गर्भवती महिलाओं की देखभाल करने के बाद वर्कर के पास इतना समय नहींबचता कि वह हर काम को आन लाइन भी करें। ऊपर से मोबाइल व इंटरनेट काम नहीं करते। प्रदर्शन में शामिल वर्कर ने सरकार द्वारा दिए गए मोबाइल को वापस करने की बात भी कही ।
उन्होंने कहा कि सरकार वर्कर को कर्मचारी तक का दर्जा देने में आना- कानी कर रही है। इंसेंटिव काटे जा रहे हैं। न्यूनतम वेतन की मांग का केंद्र व प्रदेश सरकार के बजट में कहीं कोई जिक्र तक नहीं है।
अपील के बावजूद सरकार व विभाग दोनों कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। इन हालात में संघर्ष के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं बचता।
सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सी.आई.टी.यू.) के नेता कामरेड सतीश सेठी व रमेश नन्हेड़ा ने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री एक तरफ तो राजशाही की तरह खुले दरबार लगाते हैं, परंतु दूसरी और स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ आशा वर्कर यूनियन से अपील के बावजूद बात नहीं करते।
उन्हें तुरंत बातचीत कर मांगों को लागू करना चाहिए तथा आनलाइन कार्य के लिए प्रशिक्षित कम्प्यूटर प्रोफैशनल्ज की नियुक्ति करनी चाहिए। इससे जहां बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा, वहीं जनता को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। आयुष्मान भारत के कार्ड ऑनलाइन बनाने का काम भी आशा से करवाने का दबाव बनाया जा रहा है। जो आशा यह काम नहीं करना चाहती उस पर कार्ड बनाने का दबाव न बनाया जाए।
टी.बी. का सर्वे भी ऑनलाइन करने का दबाव बनाया जा रहा है। आशाओं पर यह नाजायज दबाव बनाना तुरंत बंद किया जाए। लगातार आशा वर्कर्स के कार्य बढ़ाए जा रहे हैं और मानदेय में कटौती की गई है। जब तक आशा वर्कर की सभी मांगों का समाधान नहीं हो जाता है और इनको संतोषजनक मानदेय नहीं दिया जाता तब तक आशा वर्कर्स पर कोई नया काम करने का दबाव न बनाया जाए। इसलिए यूनियन प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करके वर्कर की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाए।
प्रदर्शन को यूनियन की कैशियर बलजिंद्र कौर, उपप्रधान प्रेम, मधु, सरिता, सुषमा, पुष्प लता, बाबी, रूबीता, हरजीत कौर, सुषमा भुरेवाला इत्यादि ने सम्बोधित किया।