नगर कीर्तन के काला आम्ब पहुंचने पर भाजपा जिला प्रधान राजेश बतौरा ने किया स्वागत।

0
IMG-20230425-WA0022

काला आम्ब (नवीन -गौरव) 25 अप्रैल। गुरू गोबिंद सिंह जी के नाहन (सिरमौर) आगमन को प्रति वर्ष एक पर्व के रूप में मनाया जाता है और गुरूद्वारा टोका साहब से नाहन तक नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है। गुरू गोबिंद सिंह जी का यह 338वां नाहन आगमन पर्व था।

गुरूद्वारा टोका साहब से नाहन (सिरमौर) के गुरूद्वारा साहब तक निकाले गये नगर कीर्तन का काला आम्ब में पहुंचने पर भाजपा जिला प्रधान राजेश बतौरा ने स्वागत किया। नगर किर्तन की अगुवाई कर रहे पंज प्यारो को सिरोपे डालकर कर राजेश बतौरा ने उन्हें नमन कर स्वागत किया। बता दें कि प्रति वर्ष यह नगर किर्तन गुरूद्वारा टोका साहब से शुरू होकर नारायणगढ़, कालाआम्ब से होते हुए गुरूद्वारा टोका साहब से नाहन (सिरमौर) तक आयोजित किया जाता है। टोका साहब गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी, गुरूद्वारा रातगढ साहब कमेटी नारायणगढ़, कालाआम्ब कमेटी तथा नाहन के श्रद्धालुओं द्वारा नगर किर्तन का आयोजन किया गया था।

नाहन की धरती पर गुरू गोबिंद सिंह के आगमन को एक पर्व के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है और यह 338 वां गुरू गोबिंद सिंह का नाहन आगमन पर्व था। यह पर्व श्रद्धालुाओं द्वारा एक सप्ताह तक का कार्यक्रम आयोजित कर मनाया जाता है।
भाजपा जिला प्रधान राजेश बतौरा ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है नाहन (सिरमौर रियासत) के तत्कालीन राजा मेदनी प्रकाश ने रियासत को बचाने के लिए गुरू गोबिंद सिंह से नाहन आने का आग्रह किया था और उस समय गुरू गोबिंद सिंह जब उनके अनुरोध पर गांव टोका पहुंचे थे तो राजा मेदनी प्रकाश ने यहां पहुंच कर उनका भव्य स्वागत किया था।

इतिहास के पन्नों के अनुसार बाईस धार के राजाओं में परस्पर लड़ाई झगड़े चलते रहते थे। नाहन रियासत के तत्कालीन राजा मेदनी प्रकाश का कुछ इलाका श्रीनगर गढ़वाल के राजा फतहशाह ने अपने कब्जे में कर लिया थे। राजा मेदनी प्रकाश अपने क्षेत्र को वापिस लेने में विफल रहा था। राजा मेदनी प्रकाश ने रियासत के प्रसिद्ध तपस्वी ऋषि काल्पी से सलाह मांगी। उन्होंने कहा कि दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी को अपनी रियासत में बुलाओ, वही तुम्हारा संकट दूर कर सकते हैं। राजा मेदनी प्रकाश के आग्रह पर गुरु गोबिन्द सिंह जी नाहन पहुंचे। जब गुरु जी नाहन पहुंचे, तो राजा मेदनी प्रकाश, उनके मंत्रियों, दरबारियों व सैकड़ों श्रद्धालुओं ने उनका शानदार और परंपरागत स्वागत किया। गुरू गोबिंद सिंह जी ने दोनों राजाओं की सुलह करवा दी थी। तब से नाहन की धरती पर गुरू गोबिंद सिंह के आगमन को एक पर्व के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed