मिड-डे-मील वर्कर्स ने 26 हजार के न्यूनतम वेतन की मांग के साथ भरी 5 अप्रैल को दिल्ली रैली में जाने की हुंकार

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अम्बाला 16 मार्च। प्रदेश सरकार से नाराज सरकारी स्कूलों में भोजन बनाने वाली मिड-डे-मील वर्कर्स ने मुख्यमंत्री के नाम अपनी मांगो का ज्ञापन उपायुक्त कार्यलय में सौंपा जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपए करने की मांग की गई। इसके साथ ही 5 अप्रैल को दिल्ली में होने वाली किसान-मजदूरों की सँघर्ष रैली में भी भाग लेने का एलान किया।

सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) से सम्बद्ध मिड-डे-मील वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर स्कूलों में काम करने वाली वर्कर्स जिला शिक्षा अधिकारी अम्बाला के कार्यलय में एकत्रित हुई। जंहा से यूनियन प्रधान ललिता कुमारी व सचिव सोनिया के नेतृत्व में अपनी मांगों के नारों के साथ प्रदर्शन करती हुई उपायुक्त कार्यलय पर पहुंची। वर्कर्स ने यंहा अपनी दस सूत्रीय मांगो का ज्ञापन डीडीपीओ के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम सौंपा।

ज्ञापन में मांग की गई है कि वर्कर्स साल भर स्कूल में काम करती है। इसलिए मानदेय भी 12 महीने का मिलना चाहिए। जबकि प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार दस महीने का भुगतान करती है। प्रधान ने कहा कि जिला में वर्कर्स को अभी तक पिछले 5 मास का मानदेय नही मिला है जबकि नियम कायदे से यह हर महीने की 7 तारीख तक मिल जाना चाहिए। इस हालात में महंगाई के दौर में कम मानदेय पर काम कर रही वर्कर को घर का गुजारा चलाना मुश्किल हो गया है। वर्कर का प्रतिनिधिमण्डल बकाया मानदेय के भुगतान को लेकर डीईओ सुरेश कुमार से भी मिला और जल्द भुगतान की मांग की।

सीआईटीयू के नेता सतीश सेठी ने कहा कि वर्कर को सरकारी कर्मचारी का दर्जा व न्यूनतम वेतन देने में सरकार चुप्पी साधे हुए है। यही नही स्कूलों की मरजिंग के चलते वर्कर्स को काम से हटाया जा रहा है। वर्कर्स को ईपीएफ ,ईएसआई व मेडिकल की भी कोई सुविधा नही मिलती। ज्ञापन में मांग की गई कि 65 वर्ष की आयु पर रिटायरमेंट व दो लाख रुपए दिए जाए। वर्दी भत्ता दो हज़ार रुपए सालाना देने। हटाई गई वर्कर को दोबारा लगाने एव बेगार प्रथा पर रोक लगाने की मांग की गई है।

प्रदर्शन को रोडवेज कर्मचारियों के नेता इंद्र सिंह बधाना व मिड डे मील वर्कर यूनियन नारायणगढ़ से राज कुमारी, प्रोमिला व किरण, साहा से नीलम देवी, शहजादपुर से पुष्पा देवी व अम्बाला केंट से द्रोपदी और सरोज ने भी संबोधित किया

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