डेरा सच्चा सौदा सुप्रीमो राम रहीम ने राजनीति को कहा बाय-बाय

डेरे ने अपना पोलिटिकल विंग भंग करते हुए समाजसेवा पर प्राथमिकता की बात कही
चंडीगढ़ | डेरा सच्चा सौदा के सुप्रीमो राम रहीम ने राजनीति से तौबा-तौबा कर ली है। डेरा प्रमुख ने अपनी पॉलिटिकल विंग को भंग कर दिया है। राम रहीम ने अपने संघ और अनुयायियों को संदेश दिया है कि डेरा सच्चा सौदा का कोई राजनीतिक विंग नहीं होगा। इस विंग का गठन 2007 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले 2006 में किया गया था। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले डेरा प्रमुख का यह फैसला राजनीतिक दलों के लिए चौंकाने वाला है।
डेरा से जुड़े कुछ सूत्रों ने बताया कि डेरा प्रमुख ने यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि डेरा समाज सेवा के काम पर फोकस करना चाहता है। चुनाव से ठीक पहले राम रहीम के जेल से पैरोल पर बाहर आने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष लगातार एक दूसरे पर सियासी हमले करते रहते हैं। कई बार विपक्षी दल राम रहीम की पैरोल को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं।
डेरा नहीं करेगा किसी का समर्थन
डेरा के सूत्रों के अनुसार, हर खेमे का एक राजनीतिक विंग होता है, चाहे वह किसी भी तरह का खेमा हो। राम रहीम ने राजनीतिक विंग को खत्म कर दिया। अगर किसी पार्टी को आंतरिक रूप से समर्थन मिल भी जाए तो अब डेरा सच्चा सौदा किसी भी पार्टी को खुलकर समर्थन करता नजर नहीं आएगा। इसका मतलब यह है कि खेमा आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को समर्थन नहीं देगा।
राम रहीम को कब-कब मिली राहत
– पहली बार पंजाब-UP विधानसभा चुनावों में मिली थी राहत
– साल 2022 में 7 फरवरी को 21 दिन की फरलो मिली थी।
– साल 2022 में ही 17 जून 2022 को 30 दिन की पैरोल मिली।
– साल 2022 में अक्टूबर में राम रहीम फिर से 40 दिन की पैरोल पर बाहर आया।
– साल 2023 में 21 जनवरी को मिली 40 दिन की पैरोल।
दूसरी पैरोल में बेटे-बेटियां और दामाद देश छोड़कर गए
जून 2022 में उसे 30 दिन की दूसरी पैरोल मिली थी। तब वह UP के बागपत जिले के बरनावा आश्रम में रहा। उस दौरान वह पहली बार रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से करीब 5 साल बाद डेरा प्रेमियों के सामने आया और उनको चिट्ठियां लिखकर एकता का संदेश दिया। हालांकि तभी उसके बेटे, दामाद और बेटियां हनीप्रीत के साथ अनबन के चलते विदेश चले गए।